(हमारे पिताजी तथा बापू श्री. केशवलाल तिवारी इनका आज दि. २५ मे २०१५ का जन्मदिन. उम्रके ७८ साल पुरे कर बापू ७९ वे सालमें प्रवेश कर रहे है. उनकेप्रति मेरी भावनाएँ)
आदरणिय पिताजी तथा बापू आपको जन्मदिनकी बहुतसारी शुभकामनाएँ. हमारी माँ सौ. मनोरमा इनका जैसे ‘माँसे आई होनेका सफर’ रहा है वैसेही आपका ‘पिताजीसे बडेभय्या और बडेभय्यासे बापू होनेका सफर है’ लेकिन इतसप चर्चा फिर कभी करूंगा.
आपको जन्मदिनकी बधाई देनेके पहले आज सुबहसे मै सोच रहा था, गुजरे हुए २०-२५ सालोंमें आपने मुझे कब-कब दाटा? इस प्रश्नको लेकर मैं व्यक्तिगत तौरपर अस्वस्थ था. मनुष्य स्वभावकी विशेषता है, हम अपनोंकेसाथ गुजारेहुए अच्छेपल, या अपनोंका अच्छा-ममत्वभरा बर्ताव अल्प समयकेलिए याद रखते है, लेकिन किसीका दूर्रव्यवहार या गैरबर्ताव हम हमेशाकेलिए याद रखते है. इसप्रकारकी वेदनादायी याँदे बडीही तकलिफ देय होती है. वो स्वभावका ‘नासूर’ भी बन जाती है.
आदरणिय पिताजी तथा बापू आपको जन्मदिनकी बहुतसारी शुभकामनाएँ. हमारी माँ सौ. मनोरमा इनका जैसे ‘माँसे आई होनेका सफर’ रहा है वैसेही आपका ‘पिताजीसे बडेभय्या और बडेभय्यासे बापू होनेका सफर है’ लेकिन इतसप चर्चा फिर कभी करूंगा.
आपको जन्मदिनकी बधाई देनेके पहले आज सुबहसे मै सोच रहा था, गुजरे हुए २०-२५ सालोंमें आपने मुझे कब-कब दाटा? इस प्रश्नको लेकर मैं व्यक्तिगत तौरपर अस्वस्थ था. मनुष्य स्वभावकी विशेषता है, हम अपनोंकेसाथ गुजारेहुए अच्छेपल, या अपनोंका अच्छा-ममत्वभरा बर्ताव अल्प समयकेलिए याद रखते है, लेकिन किसीका दूर्रव्यवहार या गैरबर्ताव हम हमेशाकेलिए याद रखते है. इसप्रकारकी वेदनादायी याँदे बडीही तकलिफ देय होती है. वो स्वभावका ‘नासूर’ भी बन जाती है.